Description
वीर्य शोधन के सेवन से वीर्य से सम्बन्धित दोषों का निवारण होता है। वीर्य सम्पूर्ण धातुओं का सार है। स्वस्थ्य संतान की प्राप्ती के लिए वीर्य शुद्ध होना जरूरी है। धातु रोग, मर्दाना कमजोरी💪, देर तक नहीं टिकना 1 मिंट में निकल जाने की समस्या, शुक्राणु के पतलेपन की आयुर्वेदिक उपचार वीर्य शोधन ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें इसके लिए वीर्य शोधन का सेवन करना चाहिए। हम इस लेख में इस वीर्य शोधन के बारे में विस्तार से जानेंगे। Norogi वीर्य शोधन क्या है? वीर्य शोधन एक आयुर्वेदिक दवाई है जिसे अनेक जड़ी बूटियों से मिलाकर तैयार किया जाता है। यह औषधि जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है वीर्य को शुद्ध करने का कार्य करती है और साथ ही स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, शारीरिक व मानसिक दुर्बलता, नपुंसकता, पाचन शक्ति की कमजोरी, स्मरणशक्ति की कमी को दूर करने कार्य भी करती है। अनुचित और अनियमित ढंग से भोजन व कामुक आचरण वीर्य को पतला व निर्बल कर देता है। वर्तमान समय में इस समस्या युवा पीढ़ी में आसानी से देखी जा रही है। इस समस्या के लिए कई लोग एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग करते हैं पर ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है। इसका सरल उपाय यही है कि इसके लिए वीर्य शोधन का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रयोग से वीर्य के विकार समाप्त हो जाते हैं। स्वस्थ्य संतान के लिए वीर्य का शुद्ध होना अति आवश्यक होता है। शुद्ध वीर्य की पहचान यह है कि वह चिकना, गाढ़ा, मीठा, मलाई जैसा, गंध रहित, जलन रहित होता है।और इसी के उलट अशुद्ध वीर्य सूखा, रंग रहित या गंदे रंग का, झागदार, बहुत गाढ़ा, इसके निकलते समय गंध आती है साथ ही जल भी होती है।वीर्य दोष हो जाने पर वीर्य कम उत्पन्न होता है जिससे उसमें स्पर्म की संख्या कम पाई जाती है या वह असासामन्य व अस्वस्थ्य होते हैं। शुद्ध एवं स्वस्थ्य वीर्य ही गर्भधारण करने में सक्षम होते हैं। धातु रोग, मर्दाना कमजोरी💪, देर तक नहीं टिकना 1 मिंट में निकल जाने की समस्या, शुक्राणु के पतलेपन की आयुर्वेदिक उपचार वीर्य शोधन ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें वीर्य शोधन के सेवन की विधि इस वीर्य शोधन को 1 या 2 चम्मच को दिन में दो बार सुबह व शाम को लेनी चाहिए। इस वीर्य शोधन को भोजन के उपरान्त ही लेना चाहिए। इसको दूध के साथ लें तो अधिक असरदार होती है। वीर्य शोधन का उपयोग वीर्य शोधन धातु रोग, मूत्र रोग यौन सम्बन्धित समस्याओं को दूर करने के साथ ही इसका मुख्य कार्य वीर्य को शुद्ध करना है। कई अन्य औषधियों के साथ लेने से अन्य रोगों में फायदा पहुंचता है जैसे नपुंसकता, स्वप्न दोष, शिथिलता और शीघ्रपतन जैसे परेशानियों में। वीर्य के अस्वस्थ्य होने या शुक्राणुओं में विकार पैदा होने के कई कारण है। जैसे — धूम्रपान करना, तम्बाकू का प्रयोग करना, मद्यपान करना, मसालेदार व तेज मिर्च युक्त भोजन करना, गरम गरम पेयपदार्थ पीना, ज्यादा खट्टी चीजे खाना, हस्तमैथुन करना, उष्ण दवाईयों का प्रयोग करना, जरूरत से ज्यादा एण्टीबायोजटिक दवा का प्रयोग करना, अश्लील विचार आना फिल्मे देखना, कामुन चिन्तन करते रहना इसका प्रमुख कारण होता है। धातु रोग, मर्दाना कमजोरी💪, देर तक नहीं टिकना 1 मिंट में निकल जाने की समस्या, शुक्राणु के पतलेपन की आयुर्वेदिक उपचार वीर्य शोधन ऑर्डर करने के लिए Click करे - All India delivery
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